कमलनाथ सरकार में हुए तबादले और घोटालों के साथ विज्ञापन घोटाले की भी जांच हो ! श्रमजीवी पत्रकार संघ ने मांग की

जनता और सरकार के बीच सेतु का काम करता है जनसंपर्क विभाग...
   भोपाल। मुख्यमंत्री रहकर जनता की सच्ची सेवा करने का जितना कार्य करने का अनुभव वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को है उससे पाओ हिस्से का अनुभव पूर्व सीएम कमलनाथ को नहीं था,जिस प्रकार शिवराज सिंह सभी को साथ लेकर चलते हैं और हर एक नागरिक की समस्या को गंभीरता से लेते हैं,उन्हें दूर करते है,यह विशेषता बहुत कम राजनेताओं में पाई जाती है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने पूरे कार्यकाल के दौरान सिर्फ हवा में उड़ते रहे कभी जमीन से जुड़ने की कोशिश ही नहीं की,लोगों के करीब जाकर उनकी समस्या नहीं सुनी,बल्कि समस्याओं को बढ़ाया गया,इसका एक उदाहरण है प्रदेश के पत्रकार जिनसे न जाने कोनसा बदला लिया गया। पूर्व सीएम कमलनाथ अपने एक साल के कार्यकाल में अख़बार वालो के पीछे नहा-धोकर पड़े रहे। उन्होनें जनसंपर्क संचालनालय को कॉंग्रेसियों का अड्डा बना दिया था, आयुक्त पी नरहरी,संचालक ओपी श्रीवास्तव कॉंग्रेसियों के समाचार पत्र पत्रिकाओ को रैबडियो की तरह विज्ञापन बांटे कई कांग्रेस नेताओं के करीबियों को जनसम्पर्क कार्यालय में मोहरों की तरह बैठाए गये अधिकारियों एवं बाबुओं ने चुन चुनकर निविदा,प्रदर्शन विज्ञापन दिए गये। इसके साथ ही कॉंग्रेस पार्षदो के ngo को लाखों रूपए के स्मारिका के नाम पर विज्ञापन दे दिये गये ! 
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने हमेशा से ही मीडिया को महत्व दिया है साप्ताहिक,पाक्षिक, मासिक या लघु दैनिक हो,सबको बराबर सम्मान दिया है ! लेकिन कॉंग्रेस की सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सबसे पहले इन अखबार वालो पर दमनकारी नीतियां अपनाते हुए,विज्ञापन बिलों का भुगतान रोक दिया गया, लघु एवं मध्यम समाचार पत्र पत्रिकाओ को विज्ञापन देना बंद कर दिया गया,जिन समाचार पत्रों को विज्ञापन दिये गये उनसे भारी कमीशन लिया गया!
कमलनाथ का तर्क था की मध्यप्रदेश का प्रिंट मीडिया और लघु अख़बार शिवराज सिंह चौहान के साथ है,और पन्द्रह साल तक उनके काम का जमकर प्रचार-प्रसार किया गया। कुल मिलाकर कमलनाथ और उनकी टीम को यह बात घर कर गई थी कि चुनाव में भी इन समाचार पत्रों ने शिवराज सिंह चौहान के समर्थन में जमकर खबरें छापी,इस वजह से कांग्रेस पूर्ण बहुमत के लिए सीट नहीं जीत पाई। यही मुख्य कारण था की उन्होंने प्रिंट मीडिया और लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं पर खूब दमनकारी चक्र चलाएँ !
कमलनाथ शासनकाल में साप्ताहिक,पाक्षिक,मासिक ,सूची के लघु दैनिक समाचार पत्रों को बन्द करने की साज़िश रचते हुए  दमनकारी नीतियां अपनाई गई थी ! शिवराज सरकार की चहेती मीडिया को जनसंपर्क विभाग के संचालक ओपी श्रीवास्तव मिलीभगत के कारण विज्ञापनों से मेहरून रखा गया, सिर्फ़ यह अधिकारी कॉंग्रेसियों को चुन चुनकर विज्ञापन देते रहे कॉंग्रेसियों के लिए कोई नियम कानून नहीं था ! इन अधिकारियों ने भाजपा से जुड़े होने के संदेह के आधार पर लघु समाचार पत्रों को विज्ञापन देना पूरी तरह से बंद कर दिये था।


 कमलनाथ सरकार में हुए तबादले और घोटालों के साथ विज्ञापन घोटाले की भी जांच हो !


 श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपेश ओझा ने  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान, मंत्री नरोत्तम मिश्रा जी से माँग की है की 15 महीने में कमलनाथ सरकार में करोड़ों रूपए का घोटाला हुआ है,इसकी भी जाँच कराई जाये ! श्री मालवीय ने अपनी माँग में कहा कमलनाथ सरकार में जनसंपर्क विभाग की विज्ञापन शाखा में पदस्थ हुए सारे अधिकारियों और कर्मचारियों को बदला जाए ! 
श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष लखन गेहलोत ने कहा जनसंपर्क विभाग के अनुभवी मंगला मिश्रा, HL चौधरी जैसे काबिल अधिकारियों को जनसंपर्क संचालक बनाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विचार करना चाहिऐ, श्रमजीवी पत्रकार संघ प्रदेश सचिव डॉ चिराग छाजेड़ ने कहा वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की छवि चमकाने के लिए प्रिंट मीडिया,इलेक्ट्रानिक मीडिया,सोशल मीडिया एवं कई अन्य माध्यमों से शिवराज सरकार की ब्रांडिंग करने वाले अधिकारियों की वापस पदस्थापना की जाये ! गत चुनावों में जनसंपर्क विभाग के जिन अधिकारियों ने शिवराज सिंह चौहान की  ब्रांडिंग  की थीं उन अधिकारियों और कर्मचारियों का छांट छांट कर ट्रांसफर किया जा रहा है, उनका ट्रांसफर रद्द कर दोबारा मौका दिया जाना चहिये ! प्रदेश में फिर से भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद भी सत्ता के उन शिल्पकार को हटाया जा रहा है जिन्होने जनसम्पर्क कार्यालय में रहते हुए शिवराज सिंह चौहान को लगातार पन्द्रह वर्षों तक मध्यप्रदेश के सिंहासन पर बैठाने की रूप रेखा तय की।